जनपद अमेठी में एक आश्चर्य जनक मामला सामने आया है । जहां पर 22 वर्ष बाद जोगी बनकर साधू के भेष में लौटा बेटा एक मां के हाथों ही भिक्षा लेने पर अड़ा था। परिजन समझ बैठे थे कि वह उनकी अपनी संतान है। उसके प्रेम में पड़कर परिजनों द्वारा कई कुंतल अनाज वा पैसा दे दिया गया। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक साधू का वीडियो वा खबर जम कर वायरल हो रही है। अफवाहों का बाजार यहां तक गर्म रहा है कि बीते दिनों एक साधू एक मां के हाथों ही भिक्षा लेने पर अडिग था। जिस पर परिजन उसे अपनी ही संतान समझ बैठे थे। बदले में अनाज और भारी भरकम रकम दे चुके हैं। परिजनों द्वारा उसकी घर वापसी के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा था। जिसके लिए उनके द्वारा पुलिस की भी मदद ली गई। पुलिस ने केस दर्ज कर तहकीकात शुरू की। थाना क्षेत्र जायस के गांव खरौली के निवासी रतिपाल सिंह अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहकर नौकरी पेशा करते थे। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2002 में उनका 11 वर्षीय पुत्र संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गया था। जिसके पश्चात परिजनों ने दिल्ली के खजूरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी किंतु उसका कुछ पता नही चला था। बीते माह जनवरी में दो युवक जोगी के भेष में भिक्षा मांगने खरौली गांव में आए थे। रतीपाल की बहन उनमें से एक को अपना गायब हुआ भतीजा अरुण कुमार समझ बैठी। और जोगियों की सारंगी की धुन सुनकर परिजन रोने लगे। पिता रतिपाल भी पुत्र मोह में गांव आ गए। पुत्र को पुनः प्राप्त करने के लिए परिजनों ने उनकी सारी शर्ते पूरी करने के लिए हामी भर ली थी। उनके द्वारा ग्रामीणों के साथ मिलकर चंदे के रूप में अनेकों कुंतल अनाज और लाखों रुपए देने का वादा किया गया था और पिता की बहन द्वारा 11000 रुपए उसके खाते में डाले गए। इसके साथ ही मोबाइल सेट भी दिया गया और उसे मठ से मुक्त कराने की बात कही गई। किंतु पुलिस केस दर्ज होने के बाद जोगी बने युवक ने परिजनों से संपर्क बंद कर दिया। पूर्व में युवक ने मठ से छुड़वाने के बदले परिजनों को दस लाख रुपए मठ में देने की बात कही थी। किंतु 3 लाख साठ हजार में फाइनल बात तय हुई थी। किंतु जांच पड़ताल में वायरल खबरों के अनुसार अरुण बनकर आया युवक नफीस निकला है।
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