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जनपद अमेठी । एक ओर योगी सरकार महिला सशक्तिकरण को तरजीह देते हुए अमेठी में जिलाधिकारी वा पुलिस अधीक्षक जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद का नेतृत्व महिलाओं को सौंपा है वहीं सोचनीय बात है कि क्या महिलाएं हकीकत में वरीयता की हकदार नजर आ रही हैं। क्या महिलाएं दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर नहीं है। वर्तमान अमेठी थाना पुलिस में महिला शिकायतों को कितनी वरीयता दी जाती है वर्तमान प्रकरण देखने से साफ हो जाता है। महिला सशक्तिकरण का स्वांग रचा रही अमेठी थाना पुलिस भ्रष्टाचार के आगे नतमस्तक नजर आती है। भ्रष्टाचार इस कदर की जिम्मेदार अधिकारी आम को इमली बनाने का पूरा ठेका लिए नजर आते हैं। कहीं किसी पर फर्जी मुकदमा लिखवा दिए जाए तो आरोपी पक्ष को पैसा कमाने का साधन बना लेते हैं। लंबे समय से अमेठी थाने में जमे थानाध्यक्ष के कार्यकाल में आए दिन महिलाएं प्रताड़ित होकर गिड़गिड़ाती नजर आती हैं। बदले में अर्से तक साहब के दफ्तर के चक्कर लगाने से छुटकारा नहीं मिलता है। क्योंकि साहब आरोपियों को बचाने के लिए और उच्चाधिकारियों को गुमराह करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। बीते समय रेप पीड़िता को महीने भर थाने के चक्कर लगाने के पश्चात न्याय पाने के लिए धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा। वर्तमान प्रशासन के महिला सशक्तिकरण पर कालिख साबित हुआ। ताजा मामला दहेज उत्पीड़न की मारी बिटिया रिंकी मिश्रा पुत्री नंद कुमार मिश्रा निवासी रामनाथ पुर बड़ा थाना अमेठी का है। जिसका विवाह 12 फरवरी 2024 को दुर्गेश पांडेय सुत शारदा प्रसाद पांडेय निवासी शिव दीन तिवारी का पुरवा पूरे अमटाही थाना संग्रामपुर से 12 फरवरी 2024 को सम्पन्न हुआ था। विवाह से ही वर पक्ष द्वारा पीड़ित बिटिया को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। तथा शारीरिक पीड़ा देते हुए जबरदस्ती आरोपियों द्वारा माइके भेज दिया गया। जबकि पीड़िता के पिता का आरोप है कि उसके द्वारा दहेज लोभियों को पंद्रह लाख रुपए दहेज के रूप में दिया गया। पीड़िता का आरोप है कि ससुराल में रहते समय उसके देवर हरिकेश ने पीड़िता का गला दबाकर जान से मारने का प्रयास भी किया। पीड़िता द्वारा आरोप लगाया गया है कि यदि वह सुसराल वापस जाएगी तो उसका देवर उसे जान से मारने की धमकी देता है। इसी प्रकरण में पीड़िता द्वारा अगस्त 2024 को महिला थाने में प्रार्थना पत्र दिया गया तो महिला थाना प्रभारी से आरोपियों ने बिटिया को ले जाने से इनकार कर दिया गया। जिस पर महिला थाना प्रभारी ने अमेठी कोतवाली में जाकर मुकदमा पंजीकृत कराने के लिए कहा बड़ा प्रश्न है क्या महिला थाना में महिला संबंधी अपराध का मुकदमा पंजीकृत नहीं किया जा सकता। इसके पश्चात पीड़िता द्वारा अमेठी थाने में न्याय के लिए गुहार लगाई गई। अमेठी थाना प्रभारी ने आरोपी को संग्रामपुर थाने से संबंधित बताकर वहां के लिए भेज दिया। संग्रामपुर थाना प्रभारी के बोल रहे जाने कहां कहां से चले आते हैं जबकि महिला संबंधी अपराध में महिला अपने संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज करा सकती है। पुनः थक हार कर पीड़िता वापस अमेठी थाने आई। जहां पर उसकी मर्जी के बिना थानेदार साहब ने समझौता करा दिया और तो और साहब वकील तक से भी आरोपी को बचाने के चक्कर मे संपर्क साधे रहे। और तो और साहब के समझौते का अनुपालन आरोपियों ने नहीं किया। पीड़िता ने कल पुनः थाने में मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया । जिस पर साहब ने आरोपियों से पूरी सहानुभूति रखते हुए मुकदमा नहीं दर्ज किया उल्टा आज 17 जनवरी 2025 को पीड़िता को ही थाने में बिठाए रखा। साहब तो यहां तक नसीहत दे डाले कि जाके कोर्ट से मुकदमा कराइए यहां क्यों मुकदमा करें। पुनः पीड़िता ने न्याय के लिए महिला पुलिस अधीक्षक के दर पर गुहार लगाई है। देखना बाकी है महिला सशक्तिकरण कितना सशक्त नजर आता है और पीड़िता को मुकदमा लिखाने में कितनी मशक्कत का सामना करना पड़ता है।