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अमेठी। ७ फरवरी शुक्रवार अवधी साहित्य संस्थान एवं साधना फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में सम्मान समारोह एवं कवि गोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी एवं गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा पर पूजा अर्चना,माल्यार्पण एवं व रामेश्वर सिंह की वाणी वंदना से हुआ।अतिथियों का स्वागत करते हुए अवधी साहित्य संस्थान अमेठी के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि धर्म एवं संस्कृति सामाजिक समरसता के मेरुदंड हैं, जिनका संवरण साहित्य के बिना संभव नही है। अध्यक्षता करते हुए बाबा मनोहर सिंह जी ने कहा कि मातृभूमि एवं मातृभाषा आत्मा का रक्त होता है,जो समाज व राष्ट्र से जोड़ने का कार्य करता है।भारतीय संस्कृति शिरोमणि पं.अवधेश नारायण पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में कहा कौन जानता था मुझे तेरी बंदगी से पहले।कर्म और धर्म की भावना मैंने अपनी माँ से सीखा।हम सबको निज भाषा,निज संस्कृति एवं निज धर्म पर गर्व होना चाहिए।कवि गोष्ठी में नरेन्द्र प्रताप शुक्ल ने पढ़ा दर्द में मुस्कराना कठिन काम है,हाले दिल भी छिपाना कठिन काम है,
राधेश्याम पाण्डेय दीन ने पढ़ा भारत माता हमका जान से ज्यादा प्यारी बाटै,सारे जहां से न्यारी बाटै न,डॉ केशरी शुक्ल ने पढ़ा उम्र भर कहती है जो मायके को घर अपना कैसे कहते हैं लोग होती पराई बेटी। श्रीनाथ शुक्ल ने पढ़ा पांच तत्वों से पिंजरा बनाया जय मां सजाया सजा,ज्ञानेंद्र पाण्डेय अवधी मधुरस ने पढा बेरि केरि के संग है,ना अंधी भक्ति सरीना, समीर मिश्रा ने पढ़ा दूसरों को ध्यान देता पर स्वयं भेजा हूं,मैं देश का किसान हूं।राजकुमारी संस्कृति,जगदम्बा तिवारी मधुर,सुरेश चन्द्र शुक्ल,रामबदन शुक्ल, अमर बहादुर सिंह,शब्बीर अहमद सूरी,चन्द्र प्रकाश पाण्डेय मंजुल आदि ने रसभरी अपनी कविताओं से स्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगोष्ठी में अजुग पाण्डेय ,अभिशेख त्रिपाठी, मीनाक्षी मिश्रा,विजय मिश्र, अनुभव मिश्र, शिवकुमार शुक्ल, अवधेश बेलौरा,धर्मेन्द्र शुक्ल, सुनील तिवारी ,यज्ञ नारायण उपाध्याय, कैलाश नाथ शर्मा डॉक्टर अभिमन्यु पाण्डेय,अमरीश मिश्र , सदाशिव पाण्डेय, रीता पाण्डेय अनीता गुप्ता,आशा अग्रहरि,सुनीता मोदनवाल,शुभ त्रिपाठी आदि सैकड़ों साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।गोष्ठी का संचालन कवि शमीर मिश्र एवं आभार प्रदर्शन सचिव साधना त्रिपाठी ने किया।