
Uptoday न्यूज
मीनाक्षी मिश्रा
जनपद अमेठी । थाना अमेठी में महिला सशक्तिकरण कोतवाल के लिए मखौल का मुद्दा बन गया है। आए दिन थाने में दलालों का डेरा रहता है। आम नागरिक थाने जाने से खौफ खाने लगा है। महिलाओं की बात की जाए तो महिला पुलिस अधीक्षक होने के बावजूद अमेठी थाने में कोतवाल वर्दी की गर्मी में कार्यवाही के बजाय महिलाओं को डांट कर भगा देते हैं। और तो और साहब साफ कहते हैं जो मर्जी हो जाए मुकदमा नहीं लिखेंगे। एडिशनल एस पी की ओरल कही बातों को मै नहीं मानते । जब तक कोर्ट का आदेश नहीं होगा मुकदमा नहीं लिखेंगे। बात यहीं नहीं खत्म होती इनके दरोगा साहब तो यहां तक कहते नजर आए कि तुम्हारे भय से मुकदमा अभी लिख जाएगा। पीड़ित महिलाओं का अमेठी थाने में किस कदर मखौल उड़ाया जाता है पीड़ित महिला के साथ अमेठी थाने में हुआ बरताव इसका जीता जागता उदाहरण है । आए दिन संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायतों के निस्तारण की डींगे हांकी जाती हैं इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण का नारा योगी सरकार में बुलंदी से कागजों में गुंजायमान हो रहा है वहीं जमीनी हकीकत खंगाली जाए तो पीड़ित महिलाओं की स्थिति बद से बदतर नजर आ रही है। दरअसल हम बात कर रहे हैं पीड़िता रिंकी मिश्रा पुत्री नंद कुमार मिश्रा निवासी राम नाथ पुर बड़ा की। जिसका विवाह 12 फरवरी 2024 को दुर्गेश पांडेय पुत्र शारदा प्रसाद पांडेय निवासी अमटाही थाना संग्रामपुर से उसके निज निवास पर सम्पन्न हुआ। पीड़िता के अनुसार विवाह के पश्चात उसके ससुरालजनो द्वारा उसे मार पीट कर कम दहेज लाने के एवज में निकाल दिया गया। तथा देवर द्वारा अमेठी थाने में पीड़िता को धमकाया गया कि वह यदि ससुराल गई तो जान से मार दिया जाएगा। पीड़िता द्वारा अमेठी थाने में प्रार्थना पत्र दिया गया तो अमेठी कोतवाल द्वारा जबरन दो लाख के बदले तलाक दे देने का समझौता कराया गया। पीड़िता द्वारा अपने साथ हुए अपराध का मुकदमा दर्ज कराने के लिए महिला पुलिस अधीक्षक महिला थाना वा अमेठी थाने में गुहार लगाई किंतु पैसा बोलता है। थाने में चढ़ावा चढ़ जाए तो महिला का मुकदमा लिखने से कोतवाल साहब मना कर देते हैं। कल महिला द्वारा अमेठी तहसील में संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान एडिशनल एस पी के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंची। मौके पर मौजूद अमेठी थाने के नुमाइंदे दरोगा आरपी यादव को आला अधिकारी द्वारा पीड़िता का मुकदमा लिखने के लिए आदेशित किया गया। किंतु अमेठी कोतवाल के आगे एडिशनल एस पी का आदेश कोई मायने नहीं रखता। पीड़िता अगले दिन थाने पहुंची तो अमेठी कोतवाल ने मुकदमा लिखने से साफ इनकार कर दिया। ये वर्तमान प्रशासन में महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण है।