
शैलेंद्र प्रताप सिंह
Uptoday न्यूज
अमेठी, कालिका धाम,28 जुलाई, रविवार को अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से मां भगवती कालिका के पावन सभागार में कवि गोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी, गोस्वामी तुलसीदास जी एवं मलिक मोहम्मद जायसी के चित्र पर पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ। अतिथियों एवं साहित्य प्रेमियों का स्वागत करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि अवधी संस्कृति की दुनिया में एक अलग पहचान है,जिसका हिन्दी साहित्य सम्वर्द्धन में सर्वाधिक योगदान है। जहां मलिक मोहम्मद जायसी का पद्मावत ठेठ अवधी का मूल ग्रन्थ है वहीं गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है।हम सभी को निजी भाषा पर गर्व होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन कवि अनिरुद्ध मिश्रा ने किया । कार्यक्रम में पधारे कवियों में रामेश्वर सिंह निराश ने पढ़ा – कहवा हेरान बचपनवा कै बाग हो ,मकरा कै रोटी करमुआ के साग हो । डॉ केसरी शुक्ला ने पढ़ा – चिमनी मा तेल डारिके काटिथै महीना । टंकी के मालिकन के तो पेटै नहीं भरत । चंद्रप्रकाश पांडे मंजुल ने पढ़ा – दर्शन मिलै जेकै कुछ पुण्य बाटै ,इ पावन आश्रम च्यवन मुनि के आटै । जगदंबा तिवारी मधुर ने पढ़ा – बिना तेरे नहीं साजन मधुर अब नींद आती है । राम बदन शुक्ला पथिक ने पढ़ा – मैली हुई गंगा है झुक रहा तिरंगा है । राम कुमारी संसृति ने पढ़ा – सुनो जानकी जनकपुर में ऋषि विश्वामित्र आए हैं। आशुतोष गुप्त ने पढ़ा – सपने जो देखे पूरे कर पाएंगे । सुनीता श्रीवास्तव ने पढ़ा – कभी जमीं तो कभी आसमां के लिए । राजेंद्र शुक्ला अमरेश ने पढ़ा -प्रकट भाई हैं जहां राम भगवान हो , अवध नगरिया कै बाटै बड़ी शान हो । हरिनाथ शुक्ला हरि ने पढ़ा – आए सावन में सांवरिया झूम के छाई बदरिया । राधेश्याम दीन ने पढ़ा – घट रहा है मन जाने क्या करेंगी यह हवाएं । डॉ कण्व कुमार मिश्रा इश्क सुल्तानपुरी ने पढ़ा – खेत का खुदा मालिक खाली बार दाना है । पप्पू सिंह कसक ने पढ़ा – बेरन सुखी तन सुखायगा मनवा सूख गवा , पहले जौन लगाए रहे , ऊं धनवा सूख गवा। कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि अनिरुद्ध मिश्रा ने पढ़ा – भारत मां की पावन छवि सदा मन में बसा कर ही , सभी बलिदानी वीरों का अमर संदेश लिखता हूं । शिव भानु कृष्णा ने पढ़ा – यारों की दोस्ती पर जां निसार करता हूं , हां यह सच है मैं अपनी मां से प्यार करता हूं । दिवस प्रताप सिंह ने पढ़ा – सक्रिय फिर से मदारी हो गए हैं , यह बाबा पुनः ब्रह्मचारी हो गए हैं । अभिजीत त्रिपाठी ने पढ़ा – यादें दिल में बो जाते हैं ,यूं ही लड़के खो जाते हैं । सुरेश नवीन जी ने पढ़ा – मां बदरा आइके बरस गयें अंगनवा में । शब्बीर अहमद सूरी ने पढ़ा – मेरा दिल आईना है टूट सकता है , साथ जो चलता नहीं है छूट सकता है । इसके अतिरिक्त सचिन समर्थ , अखिलेश मिश्रा , अयोध्या से पधारे दुर्गेश दुर्लभ ने भी काव्य पाठ किया । कार्यक्रम में श्रोता के रूप में के एन शर्मा , महेंद्र द्विवेदी, एस एन पाल , अनंत राम शुक्ला , विद्यालंकर तिवारी , रामदेव सिंह , अनुभव मिश्रा चतुर्भुजपुर ,डॉ अभिमन्यु पांडे , रीता पांडे , अदिति पांडे सहित सैकड़ो लोगों की उपस्थिति रही । सभी ने कवियों की कविताओं पर जोरदार तालियां बजाकर उत्साह वर्धन किया ।